मिलन मलरिहा के कविता संग्रह
छत्तीसगढ़ ल बंदव
अऊ बंदव इहाँ किसान ल भईया…
धनहा कटोरा भरे न……
ए गा सियनहा….
छत्तीसगढ माटी हे सोना के उपजईया
महानदी दाई छलकावत हावय मया
सबे कोती बोहावत हावय न, संगे अरपा….
धनहा कटोरा भरे न…..
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One Thought to “कविता संग्रह : छत्तीसगढ़ ल बंदव”
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गुरतुर गोठ के पाठक मन भर नवा उपहार….
बधाई